1990 से अब तक, हर गुड़ीपड़वा- हिन्दू नववर्ष पर नि:स्वार्थ भंडारे का आयोजन
भोपालपट्टनम- भोपालपटनम से लगे रुद्राराम गांव के कोनागुड़ा निवासी गजेंद्र काका का परिवार पिछले 35 वर्षों से एक अनुपम सेवा की परंपरा निभा रहा है। सकलनारायण गुफा में हर गुड़ीपड़वा – हिन्दू नववर्ष पर आयोजित होने वाले मेले में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को वे नि:स्वार्थ भाव से नि:शुल्क भोजन करा रहे हैं।



गजेंद्र काका वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग भोपालपटनम में सहायक ग्रेड 3 के पद पर पदस्थ हैं, लेकिन उनका सेवा कार्य आज भी उसी श्रद्धा और समर्पण से जारी है, जैसा वर्षों पहले उनके परिवार ने शुरू किया था।
एक मनौती से जन्मी अनोखी परंपरा
गजेंद्र काका बताते हैं कि इस सेवा परंपरा की शुरुआत वर्ष 1990 में उनके दादा स्व0 बतकैया काका और दादी स्व0 गौरम्मा ने की थी। उस समय दादा जी की तबीयत अक्सर खराब रहा करती थी। उन्होंने सकलनारायण गुफा में विराजे भगवान श्रीकृष्ण से मन्नत मांगी थी कि यदि स्वास्थ्य ठीक हो जाए, तो वे गुफा में आने वाले सभी भक्तों को नि:शुल्क भोजन कराएंगे।
भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जब उनकी सेहत में सुधार हुआ, तो उन्होंने वचन निभाते हुए अपने निजी खर्च पर नि:शुल्क भोजन सेवा शुरू कर दी।
खिचड़ी, घी और अचार से करते हैं प्रेमपूर्वक सेवा
सेवा कार्य की शुरुआत के समय से ही श्रद्धालुओं को गरमा गर्म खिचड़ी, घी और अचार प्रेमपूर्वक परोसा जाता है। गजेंद्र काका का परिवार इस कार्य के लिए किसी भी प्रकार की सहायता नहीं लेता। आज भी भोजन सामग्री का संपूर्ण खर्च परिवार स्वयं वहन करता है, जो उनकी निःस्वार्थ भावना को दर्शाता है।
दादा-दादी के बाद पिता ने संभाली सेवा की बागडोर
दादा-दादी के निधन के पश्चात गजेंद्र काका के पिता स्व0 बृजेश काका ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने भी अपने जीवनकाल में पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस सेवा कार्य को जीवित रखा।
अब गजेंद्र काका इस परंपरा को पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ा रहे हैं और हर गुड़ीपड़वा – हिन्दू नववर्ष पर श्रद्धालुओं को भोजन करवा रहे हैं।
शुरुआत में जब यह परंपरा शुरू हुई थी, तब गुफा में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते थे। उस समय लगभग एक क्विंटल चावल और 20 किग्रा अचार में भंडारा संपन्न हो जाता था।
लेकिन समय के साथ सकलनारायण गुफा की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। अब छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आने लगे हैं।
इस वर्ष भंडारे में लगभग 4 क्विंटल चावल, 1 क्विंटल अचार और 10 कि.ग्रा. घी का उपयोग हुआ। श्रद्धालुओं की संख्या हज़ारों तक पहुँच चुकी है, लेकिन गजेंद्र काका का सेवा भाव और समर्पण आज भी अडिग है।
परिवार और मित्र भी देते हैं कंधे से कंधा मिलाकर साथ
इस सेवा कार्य में गजेंद्र काका के चाचा महेंद्र काका, जो स्वास्थ्य विभाग भोपालपटनम में ही बीई के पद पर पदस्थ हैं, भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। गजेंद्र काका की माताजी और उनकी दो बहनें भी भंडारे की तैयारी से लेकर भोजन परोसने तक में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
साथ ही, परिवार के अन्य सदस्य और मित्र भी भोजन परोसने, पानी पिलाने और श्रद्धालुओं की सेवा में तन-मन से जुटे रहते हैं। यह सामूहिक प्रयास ही इस सेवा को और भी भव्य और पवित्र बनाता है।