शासकीयकरण की मांग को लेकर पंचायत सचिवों की हड़ताल जारी, कामकाज ठप, जल्द ही जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
भोपालपटनम – प्रदेश पंचायत सचिव संघ के आह्वान पर विकासखंड भोपालपटनम में पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल 17 मार्च से लगातार जारी है। सचिवों द्वारा अपनी शासकीयकरण की मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है, जिससे पंचायत स्तर पर प्रशासनिक कामकाज ठप हो गया है।


पंचायत सचिव संघ ने हड़ताल के दौरान रोजाना की गतिविधियों का कार्यक्रम भी जारी किया है, जिसके अंतर्गत आंदोलन को और अधिक तेज करने की रणनीति बनाई गई है। सचिवों का कहना है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं होतीं, तो 21 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।
वादा अब तक अधूरा, सचिवों में आक्रोश
सचिवों का कहना है कि वे 1995 से पंचायतों में कार्यरत हैं और वर्षों से शासकीयकरण की मांग करते आ रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में पंचायत सचिवों के शासकीयकरण का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे सचिवों में भारी नाराजगी है।
सप्ताह भर के आंदोलन की रूपरेखा
2 से 6 अप्रैल जनपद स्तर पर धरना प्रदर्शन, 7 अप्रैल जिला स्तर पर रैली, प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा जाएगा, 8 अप्रैल नगाड़ा बजाकर सरकार के खिलाफ जनपदों में विरोध प्रदर्शन, 9 अप्रैल जनपद स्तर पर रामायण गान के माध्यम से सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया जाना है।
हड़ताल में सक्रिय सचिव
इस आंदोलन में सचिव संघ के ब्लॉक अध्यक्ष श्री दुधी श्रीनिवास, भगत शंकर (ब्लॉक सचिव), कोरम विजय, कुम्मर सत्यम, अप्पाजी वैकुंलटम, तलांडी निम्मैया, पारेट आनंद, रमेश अरिगेल, रवि दुर्गम, देवर लक्ष्मीपति, अल्लेम कृष्णाराव, कोड़े सुधाकर, दुम्पा लक्ष्मीनारायण, उप्पल संतोषी, राधा करमरका, मट्टी अरुण, चापा गणपत और सदासह मण्डावी जैसे पंचायत सचिव सक्रिय रूप से हड़ताल में शामिल हैं।
प्रशासनिक गतिविधियां ठप, ग्रामीण कार्य प्रभावित
लगातार हड़ताल से विकासखंड और पंचायत स्तर पर प्रशासनिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। सरकारी योजनाओं का संचालन, लाभार्थियों को सेवा, दस्तावेज सत्यापन, पंचायत बैठकों का संचालन आदि ठप पड़ा है, जिससे ग्रामीण जनता को भारी असुविधा हो रही है।
पंचायत सचिवों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार जल्द से जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।