रेत माफिया नदी को कर रहा खोखला. सड़क बनाने काट डाले 30 पेड़. पंचायत के अधिकार क्षेत्र में तेलंगाना के ठेकेदार के अवैध भंडारण पर प्रशासन ने की कार्रवाई.
अवैध रेत खनन से छत्तीसगढ़- तेलंगाना के बीच नदी को रेत माफिया खोखला करने पर आमादा है। हजारों ट्रक रेत का अवैध उत्खनन करके नदी के मूल स्वरूप को बिगाड़ने में रेत माफिया जुटा हुआ है। तिमेड़, भद्रकाली संगम से शुरू होकर तारलागुडा तक लाखों घनमीटर रेत का उत्खनन बीते कुछ सालों में हुआ है जिसके चलते नदी में आमूलचूल बदलाव देखे गए हैं। तेलंगाना की सीमा से लगे होने के कारण यहां से रेत की तस्करी माफियाओं के लिए आसान और सुगम है जिसकी वजह से तेलंगाना के बड़े रेत माफिया छत्तीसगढ़ के लोगों लोगों को चंद रुपयों का लालच देकर लाखों करोड़ों की लागत में रेत हैदराबाद में बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
लगातार मीडिया में अवैध रेत तस्करी की खबरों के प्रकाशन के बाद अब प्रसाशन हरकत में आया है। भोपालपटनम के एसडीएम यशवंत नाग तहसीलदार लक्ष्मण राठिया ने तारलागुडा नदी किनारे अवैध रेत भंडारण कि शिकायत पर एसडीएम नें मौके का मुआयना कर 72 टिप्पर रेत जप्त कर वन विभाग को सौप दिया है। इसके साथ से निजी ज़मीन पर लगभग 30 बड़े साजा, तेंदू, मोयन, सागौन के वृक्षों को काटकर रेत भण्डारन के लिए समतलीकारण किया गया इसका भी पंचनामा तैयार कर विधिवत कार्रवाई की गई है।
तारलागुड़ा वनोपज जाँच नाका, तारलागुड़ा और भद्रकाली थाने में भी कई शिकायतें अवैध ट्रांसपोर्टिंग और रेत चोरी की हो चुकी हैं। बेशकीमती जंगलों में पेड़ों को काटकर माफिया द्वारा सड़क बनाने की खबरों के बाद भी वनविभाग मूकदर्शक बना हुआ है। राजस्व विभाग की कार्रवाई की हैडलाइन जरूर बनती है मगर चंद दिनों में माफिया का खेल दोबारा शुरू हो जाता है। आखिर कठोर कार्रवाई नहीं होने के पीछे ऐसा कौन सा कारण है इसका जवाब अभी मिलना बाकी है।