शासन के रीड की हड्डी कहे जाने वाले लिपिक एक बार फिर वेतन विसंगति दूर करने हेतु लामबद्द हुए
वेतन विसंगति एवं अधीनस्थ लेखा सेवा परीक्षा आयोजित करने हेतु जिला अध्यक्ष राजेंद्र कुमार पसपुल के नेतृत्व में विष्णु देव साय मुख्यमंत्री एवं ओपी चौधरी वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन संयुक्त कलेक्टर जागेश्वर कौशल को सौंपा गया है। जिला अध्यक्ष राजेंद्र कुमार पसपुल द्वारा अवगत कराया गया है कि शासन की रीड की हड्डी कहे जाने वाले लिपिक विगत 40 वर्षों से वेतन विसंगति नमक पीड़ा से पीड़ित है शासन लिपिकों की एकमात्र समस्या वेतन विसंगति को 40 वर्षों से नजर अंदाज करते आ रही है सन 1961 से 1973 तक लिपिक एवं शिक्षकों तथा पटवारी का वेतनमान एक समान थी किंतु 1981 से लगातार शिक्षकों का वेतनमान में बढ़ोतरी किया गया किंतु लिपिक का वेतनमान बढ़ाने में शासन किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिपिक संवर्गों के वेतनमान के निराकरण हेतु उच्च स्तरीय समिति गठन की गई है। समिति द्वारा अनुशंसित अनेक संवर्गों के वेतनमान का उन्नयन का निराकरण किया गया किंतु जिस संवर्ग (लिपिक) हेतु गठित किया गया था समिति द्वारा अनुशंसा के पश्चात भी लिपिकों के वेतनमान का उन्नयन नहीं किया गया है, बड़ा हास्यास्पद वाक्या यह है कि उक्त समिति जिन संवर्गो के वेतनमान के उन्नयन के लिए अनुशंसा नहीं भी की गई थी उन संवर्गो के वेतनमान का निराकरण शासन द्वारा किया जा चुका है किंतु लिपिक का नहीं किया गया है जिसके कारण लिपिक संवर्ग में कुंठा एवं निराशा का वातावरण निर्मित है लिपिक कर्मचारियों के वेतनमान में निरंतर क्षरण को माननीय उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री ने लिपिक के मंच से मांगे पूर्ण करने का आश्वासन दिया था किंतु आज दिनांक तक लिपिकों के वेतनमान में सुधार करने की कार्रवाई लंबित है। ज्ञापन सौंपने के दौरान मिथिलेश नीलम, बसंत समतुल, नीलम संतोष, देवैया मट्टी, संजय बाकड़े, विनोद मड़ी, राहुल राना, गुलशन, ओगर एवम विभिन्न विभागों के सैकड़ों लिपिक उपस्थित थे।